शनिवार, 29 अक्तूबर 2011

फेस बुक सम्पादन 19/10/11

बहुत सुन्दर गणेश  जी आपने सही कहा दिग्गी भय्या अपने कांग्रेस पार्टी  के प्रति जरुरत से ज्यादा समर्पित है. लेकिन देश के प्रति बिलकुल भी नही , यह बात जनता को समझना है.

हमारे राजनेताओं के ज़मीर को पता नहीं क्या हो गया.जन लोकपाल को लेकर  कोई अनाप-सनाप बयानबाजी कर रहा है, तो कोई घटिया सियासत. कुछ को तो इसकी परवाह तक नहीं है. लेकिन हम आपके साथ है 

सही कहा है उमेश भय्या जी , दिल की बात लबों पर आ ही जाती है. सत्ता के गलियारे और यहां घूमते चेहरों को करीब से देखते हुए मुझे कई साल हो चले हैं. क्या कहूं दोस्तों, कहीं न कहीं ये मेरी मजबूरी भी है की सभी बातें आपसे शेयर नहीं कर सकता. वरना, इनके मुखौटे के पीछे का असली चेहरा देख आप सदमे में कुछ कर न बैठें.लेकिन हमारे राजनेताओं के ज़मीर को पता नहीं क्या हो गया. कोई अनाप-सनाप बयानबाजी कर रहा है, तो कोई घटिया सियासत. कुछ को तो इसकी परवाह तक नहीं है.

इन्हें बंद करना चाहिए। साथ ही इतिहास फिर से लिखा जाना चाहिए ताकि दलितों के किए कामों की जानकारी मिल सके और वर्ण व्यवस्था पर हमला किया जा सके




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