बुधवार, 5 सितंबर 2012

पंचायत भवन का हाल कचरे पेटी से बत्तर


 
सारंगढ/हरदी। 

ग्राम भिखमपूरा के लोगों ने गांव का विकास करने के लिये संगठित होने का मन बनाया है। यहा विगत 2005 से साप्ताहिक बाजार लगता है जो अब गांव वालों के लिये मुसिबत बन गया है। ग्रामीणों ने बताया कि गांव का मुख्य मार्ग, चैक, रंगमंच, प्राथमीक षाला भवन और पंचायत भवन के सामने ही साप्ताहिक बाजार लगता है। बाजार का किसी प्रकार का कोइ्र ठेका नही किया गया है और ना ही पंचायत का इस पर कोई नियंत्रण है। गांव वालों ने कहा कि बाजार के दिन सब्जी बेचने वाले अपना बचाखुचा खराब, सड़ा गला सामान टमाटर, छिलके इधर उधर फेककर चले जाते है। मूर्गा कटिंग करने वाले गोस्त बेचने के बाद उनके पंख व पोटी तथा अपषिस्ट पदार्थ पास में ही फेक कर चले जाते है, होटल वाले भी जुठा दोना पत्तल वहीं छोड़ कर चले जाते है और चुल्हे का राख भी वही छोड़ जाते है। इस प्रकार सफाई का ध्यान किसी को नही रहता है। बाजार के अगले दिन गांव वालों को इसी गंदगी पर चलने के लिये मजबूर होना पड़ता है। दो चार दिन में गंदगी आस पास के नालियों में जाकर नाली जाम कर देता है और सड़कर बदबू फैलता है जिससे यहां भारी संख्या में मख्खी मच्छर पनप रहे है। जिससे गांव मोहल्लेवासियों का घर में रहना मुष्किल हो गया है। आये दिन मुहल्ले के लोग सर्दी बुखार से ग्रसित रहते है।

गांव के यवाओ ने बताया कि यहां के पंचायत भवन का हाल तो कचरे पेटी से भी बत्तर है यहां पर कुत्ते भी जाने से षर्म करते है। बाजार के दिन एक बुढि़या पास के ही गांव से आती है और बाजार स्थल की साफ सफाई करके कचरे को पंचायत भवन मे डाल देती है और इस काम के बदले में सब्जी बेचने वालों से मुफत में साग भाजी ले लेती  है और पंचायत भवन को कूड़ादान बनाकर चली जाती है।
गांव में फैली गंदगी की सफाई करने की जिम्मेवारी पंचायत की होती है परतु यहां ना तो पंचायत ही अपनी जिम्मेदारी समझ रही है और ना ही इस क्षेत्र के कोई जनप्रतिनिधि इस ओर ध्यान देते है कोई भी इस गाव का सुध लेने वाला नही है। इस करण से लोग अब संगठित होकर बाजार ही बंद कराना चाहते है इसके लिये लोगो ने एसडीएम को ज्ञापन देने का मन बनाया हैं। जिसमें रामनाथ कुर्रे, सुखराम महेष, अमित भारती, दिपक कुमार, अलेखराम कोटवार, दुलार सिंह, दुकालूराम, उमेष कुर्रे, नीलकंठ, किष्नों, लोकनाथ, संजय और चंद्रहास कुर्रे ने षासन प्रषासन से ध्यान देने को कहा है।

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