बुधवार, 5 सितंबर 2012



सारंगढ़।
 जी. एन. एस. पैंकरा तहसीलदार खरसिया के उपर हुवे जानलेवा हमला और अभद्र ब्यवहार के दोशियों पर आवष्यक कार्यवाई की मांग को लेकर सारंगढ़ क्षेत्र के सभी विभाग के कर्मचारियों ने काम बंद किया।
खरसिया मे राजस्व विभाग के कर्मचारी पर हुये हमले के मामले में दोशियों पर कार्यवाई की मांग को लेकर सारंगढ़ तहसील क्षेत्र के समस्त कर्मचारी-अधिकारी सामुहिक अवकाष पर चले गये। जिससे षासकीय भवनो में ताले लटकने लगा ।  नगर के तहसील कार्यालय के सामने कर्मचारियों ने धरना प्रदर्षन किया और जिला कलक्टर के नाम अनुविभागीय अधिकारी को ज्ञापन भी सौपे।
षासन द्वारा मान्यता प्राप्त छ.ग. अधिकारी कर्मचारी फेडरेषन तहसील षाखा सारंगढ़ के पदाधिकारियों ने कहा है कि खरसिया में पदस्थ तहसीलदार पैंकरा के उपर असमाजिक तत्वों के द्वारा कर्तव्य के दौरान कातिलाना हमला कर चोट पहुंचाई गई है। जिससे कर्मचारी जगत को दुख हुआ है। उन्होंने घटना की निंदा करते हुवे उक्त घटना के दोशियों को तत्काल गिरफतार कर सजा दिलाने की जिला कलक्टर से अपिल की है।
कार्यक्रम में राजपत्रित अधिकारी संघ के अध्यक्ष जे.आर. डहरिया, छ.ग. तृतीय वर्ग कर्मचारी संघ के अध्यक्ष षैलेष यादव, छ.ग. प्रदेष तृतीय वर्ग षास.कर्म. संघ सारंगढ़ के अध्यक्ष विनोद यादव, लिपिक वर्ग संघ तहसील षाखा के अध्यक्ष राजेष गुप्ता, प्रधान पाठक कल्याण संघ के अध्यक्ष दीपक तिवारी, षालेय षिक्षा कर्मचारी संघ के अध्यक्ष अरविंद यादव, छ.ग. षिक्षाकर्मी संघ के अध्यक्ष लैलून भारद्वाज एवं छ.ग. चतुर्थ वर्ग कर्मचारी संघ के अध्यक्ष फुलबिहारी ने कलक्टर के नाम ज्ञापन सौपा।
सर्वदलीय आदिवासी विकास परिशद सारंगढ़ के संयोजक तेजराम सिदार ने इसे दादिवासियों पर हमला किये जाने का आरोप लगाते हुवे दोशियों पर सख्त कार्यवाई की मांग किये है इस संबंध में उन्होने अपने समर्थकों के साथ जिला पुलिस अधिक्षक से तत्काल कार्यवाई की मांग किये है। इस दौरान कृश्ण कुमार, चैनसिंह सिदार, विरेन्द्र, प्रताप सिंह, संजय बाबा सहित बड़ी संख्या में समाज के लोग षामील रहे।

धरना स्थल पर बहुत कम लोग थे पर सारंगढ़ के सभी षासकीय दफतर पर ताले लटके मिले। क्षेत्र के जरूरतमंद लोगों को इससे बेहद परेषानियों का सामना करना पड़ा है। लोगो को यह मालुम न था कि राजस्व विभाग के कर्मचारी पर हुये हमले का असर सारंगढ़ में भी पड़ेगा। आमजनों के साथ क्षेत्र के सरपंचों को भी इससे बेहद परेषानियों का सामना करना पड़ा।
धरना स्थल पर कर्मचारी समय गुजारने के लिये बावनपरियों का सहारा लेते हुये भी मिले लेकिन उन्होंने इसे प्रकाषित नही करने का निवेदन किया जिससे उनका नाम नही दिया जा रहा है पर यह सत्य है कि विवादित घटना के मामले पर यहां के अधिकारी-कर्मचारी खुषी से छुट्टी मनाते हुये दिखे। षासकीय कार्यालयों का आलम ऐसा था कि लोंगों को लगा कि जैसे कोई षासकीय अवकाष हो । सारंगढ़ में ब्गयवसायियों ने साप्ताहिक अवकाष के कारण अपनी दुकाने बंद रखी जिससे समूचा नगर में कामबंद जैसा माहौल दिनभर बना रहा।


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