सारंगढ़।
रामदेव कुर्रे, आशाराम निराला, दीनानाथ खुंटे |
रामायण कथा के समापन अवसर पर धर्म जागरण समन्वय विभाग के खण्ड संयोजक दीनानाथ खुंटे ने कहा कि ईसाई या मुष्लिम धर्म में मतांतरित हो जाने से परस्पर संबंध खत्म हो जाते है। खान पान में भी अंतर हो जाता है। उच नीच का व जातिय द्वेष बढ जाता है। जिसके फलस्वरूप समाज मंे अषांति का वातावरण हर समय बना रहता है। इसलिये समाज में समरस्ता लाना बेहद जरूरी है। मानव-मानव एक साथ मिलके मैत्री पूर्वक रहें इससे बड़ा कोई धर्म नही है। भेदभाव को त्याग कर हर दिल में समरस्ता की भावना जगे इसके लिये प्रयास करना चाहिये। कोई भी सतनामी मतांतरित न हो इसके लिये समाज में जागरण का कार्य निरंतर चलते रहना चाहिये।
सतनाम परियोजना के खण्ड प्रमुख रामदेव कुर्रे ने समाज में रामायण के प्रति प्रेम को बताया कि छत्तीसगढ़ के इस पावन माटी में ही भगवान राम का ज्यादातर वनवास काल गुजरा है हमारी संस्कृति आदिकालिन है। इसका प्रमाण भी मिलने लगे है। यहा पर रामनामी समुदाय के लोगों का निवास है। वे पूरी तरह से रामायणी संत हैं। समाज में एकरूपता लाने व धर्मांतरण रोकने के लिये परियोजना के माध्यम से इस प्रकार के आयोजन करते रहेंगे। जिससे समाज संगठित होकर एकता के मार्ग पर चले।
राम कथा का आयोजन रेमराय रात्रे ठिकादार के निवास पर आयोजित था। गांव में रास्ता खराब होने के कारण प्रातिय कार्यकर्ता मनोज लहरे उपस्थित नही हो सके उन्होंने अपने स्थान पर खण्ड के परियोजना प्रमुख को भेजा उनके साथ रामनामी आश्रम बड़े हरदी के संत बालकदास जी महाराज भी कार्यक्रम में षामील हुये।
तीन द्विवसीय रामकथा में पं. टीकाराम रात्रे, गणेषराम सोनवानी छूहीपाली, आषाराम निराला खुरघटी, पूरनदास मानिकपुरी, समारूदास बड़े हरदी, लालकुमार सिदार भेड़वन, रामाधार जोल्हे सहित अनेक मानस प्रेमी बड़ी संख्या में उपस्थित रहे। कार्यक्रम के समापन पर इसके सफल आयोजन के लिये जागरण विभाग को गांव के मिलापराम, खोलबहरा, रोमलाल रात्रे सहित उपस्थित अतिथियों को आभार प्रेशित किया ।
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